अरे सुनो सुनो ! मैं तुम्हें एक बहुत ही मज़ेदार और जादुई कहानी सुनाने वाली हूँ और हाँ ये कहानी सिंड्रेला की है लेकिन थोड़ी अलग है। यह कहानी किसी महल की नहीं है बल्कि एक छोटे से शहर फूल नगर की है जहाँ सिंड्रेला अपनी नानी के साथ रहती थी। उसके मम्मी-पापा का बचपन में ही निधन हो गया था और तभी से उसकी नानी ने ही उसे पाला था।
सिंड्रेला की नानी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसे नए कपड़े या खिलौने खरीद सके लेकिन सिंड्रेला ने कभी भी इस बात की शिकायत नहीं की। पर हाँ उसका एक सपना था और था उसे एक लाल रंग की फ्रॉक बहुत पसंद थी। लेकिन चूँकि उसकी नानी बस इतना कमा पाती थीं कि वे दोनों रोज का खाना खा सकें तो फ्रॉक खरीदना तो दूर की बात थी।
फिर एक दिन सिंड्रेला ने सोचा कि क्यों न वह खुद भी कुछ कमाई करे! तो उसने नानी से कहा कि वह छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाएगी ताकि वह घर के खर्चों में मदद कर सके। उसकी नानी को ये बात जंच गई और अगले ही दिन से सिंड्रेला ने बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसकी ट्यूशन में और बच्चे आने लगे और सिंड्रेला अच्छी कमाई करने लगी।
अब दोनों मिलकर घर का खर्च संभालने लगे थे तो उसकी नानी ने सोचा, क्यों न क्रिसमस के मौके पर सिंड्रेला के लिए एक नई फ्रॉक खरीदी जाए ? सिंड्रेला तो ये सुनकर खुशी से उछल पड़ी! दोनों मेले में फ्रॉक खरीदने गए लेकिन सिंड्रेला को कोई फ्रॉक पसंद ही नहीं आ रही थी। तभी उसकी नज़र एक बुजुर्ग आदमी के पास रखी एक लाल फ्रॉक पर पड़ी। बस, उसे तो वही फ्रॉक चाहिए थी ! उसकी नानी को वो फ्रॉक ज़्यादा अच्छी नहीं लगी पर सिंड्रेला ने जिद पकड़ ली।
अच्छा, मज़े की बात सुनो, वो फ्रॉक सिर्फ डेढ़ सौ रुपये की थी और साथ में जूतियाँ भी मुफ्त मिल रही थीं! उसकी नानी ने भी सोचा “चलो, ले ही लेते हैं,” और उन्होंने वह फ्रॉक खरीद ली।
क्रिसमस के दिन, सिंड्रेला ने वो लाल फ्रॉक पहनी और वो इतनी सुंदर लग रही थी कि उसे देख कोई भी अपनी नजरें नहीं हटा पाता। उसी रात सिंड्रेला और उसकी नानी जब खाने के लिए बैठीं, तो सिंड्रेला ने कहा “नानी, आज बाहर का खाना खाने का मन कर रहा है।” और जैसे ही उसने ये कहा उनके सामने ढेर सारे स्वादिष्ट पकवान आ गए! दोनों हैरान रह गए कि ये कैसे हुआ!
फिर क्या सिंड्रेला को धीरे-धीरे एहसास हुआ कि उसकी लाल फ्रॉक जादुई है ! जो भी वह मांगती वह उसे मिल जाता। लेकिन ये जादू सिर्फ तब तक था जब तक वह उस फ्रॉक को पहने रहती।
कुछ दिन बाद सिंड्रेला और उसकी नानी को एक समारोह में जाने का निमंत्रण मिला। और जब सिंड्रेला ने फिर से वह लाल फ्रॉक पहनी तो एक और हैरान कर देने वाली घटना घटी। समारोह से लौटते समय, कुछ डाकुओं ने उन्हें घेर लिया और उन्हें लूटने की धमकी दी। सिंड्रेला ने मन ही मन सोचा “काश हमारे पास पैसे होते,” और तभी उसके हाथों में ढेर सारे पैसे आ गए !
डाकू इस जादू को देखकर और भी ज्यादा लालची हो गए और उन्होंने और हीरे-मोती माँगे। तब उसकी नानी ने उसे समझाया कि यह फ्रॉक जादुई है और अब उसे इसका समझदारी से इस्तेमाल करना होगा। सिंड्रेला ने अपनी समझदारी का परिचय देते हुए उन डाकुओं को गायब करने की विश की और वो सभी डाकू गायब हो गए!
इसके बाद, सिंड्रेला के सामने एक बड़ा रहस्य खुला। वह बुजुर्ग दुकानदार, जिसने उसे वह फ्रॉक बेची थी, दरअसल, उसके पिताजी थे! उसकी माँ भी वहाँ आ गईं, और दोनों ने बताया कि वे परी की मदद करने के बाद यह जादुई फ्रॉक लेकर आए थे और इंतजार कर रहे थे कि सिंड्रेला कब जिम्मेदार बनेगी। जैसे ही वह जिम्मेदार हो गई, उन्होंने उसे वह फ्रॉक दे दी।
यह सब सुनकर सिंड्रेला बहुत खुश हुई। उसके माता-पिता को मोक्ष मिल गया और वह अपनी नानी के साथ खुशी-खुशी घर लौट गई। लेकिन हाँ सिंड्रेला ने यह ठान लिया कि वह उस जादुई फ्रॉक का कभी गलत इस्तेमाल नहीं करेगी और यह राज़ हमेशा के लिए छिपा कर रखेगी।
तो ये थी सिंड्रेला की कहानी शायद आपको सुनकर मजा आया हो |